– छापा पडते ही मचा हड़कंप ,दुकानदार दुकानों के शटर गिरा कर भागे
बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले दुकानदार तथा व्यापारियों को थमाए गए नोटिस ।
कायमगंज फर्रुखाबाद ।डीएम के निर्देश पर बाल एवं किशोर श्रमिको के रेस्क्यू अभियान में आधा दर्जन से अधिक बाल श्रमिक अवमुक्त कराए गए । छापामार टीम को देख कई दुकानदार शटर गिराकर मौके भाग गए रेस्क्यू अभियान से नगर में हडकंप मच गया। आधा दर्जन से अधिक दुकनदारो को नोटिस भी थमाये गए ।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने बाल एवं किशोर श्रमिको के अवमुक्तीकरण एवं पुर्नवासन को लेकर बाल श्रमिको के अवमुक्त के लिए अभियान चलाया। शुक्रवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर टीम गठित की गई ।, जिसमें श्रम प्रवर्तन अधिकारी अनिल कुमार, एएचयू प्रभारी निरीक्षक हरिनंदन ओझा, बीडीओ गगनदीप सिंह, बाल संरक्षण अधिकारी सचिन सिंह, वरिष्ठ सहायक विजय चौधरी, नायब तहसीलदार मनीष कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी ने पुलिस फोर्स के साथ श्यामागेट फैंसी बटन स्टोर, लोहाई बाजार विनीत कुमार वर्तन विक्रेता, सब्जी मंडी में बालाजी गारमेंट, बाईपास स्थित दाउद के ढाबे, काजम खां में शिवा गारमेंट, बजरिया स्थित वैश्य गारमेंट, पटवनगली रोड स्थित पानी टंकी के पास टेलर रफी अहमद, बबलू टेलर के यहां से बाल श्रमिक अवमुक्त कराए। टीम ने बताया कि आठ बाल श्रमिको को अवमुक्त कराया गया। इससे नगर में हडकंप मच गया। कई दुकानदार शटर गिरा कर रफूचक्कर हो गए। टीम ने बताया कि संबंधित दुकानदार से बाल श्रमिको को लेकर सात दिन के अंदर जवाब देकर उम्र का प्रमाण मांगा गया है। इसके बाद अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
मालूम रहे की कायमगंज नगर, टाउन एरिया कंपिल तथा टाउन एरिया शमशाबाद एवं टाउन एरिया नवाबगंज आदि स्थानों पर दुकानों छोटे-छोटे कल कारखानों , चक्की स्पेलरों , तंबाकू पुड़िया का व्यवसाय करने वाली गोदामों , ढाबो , होटल , ऑटो तथा फोर व्हीलर वर्कशॉप में काफी बड़े पैमाने पर बाल श्रमिक कार्य करते हैं / ऐसे बच्चे जिनके हाथों में कलम काफी और किताब होनी चाहिए । लेकिन गरीबी तथा लालच के कारण बेचारे बच्चे कम उम्र में ही भारी से भारी काम करने को विवस होते हैं ।
यह बात अलग है कि बच्चे मजबूरी बस काम को जाते हैं । लेकिन कारोबारी दुकानदार तथा अन्य व्यवसायी अपने लाभ के लिए जानबूझकर ऐसे बच्चों से काम लेकर बाल श्रम संरक्षण अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन करने से बाज नहीं आते हैं। लोगों का कहना है कि महीने में कम से कम तीन बार व्यापक स्तर पर छापामार कार्यवाही यदि होती रहे तो बाल श्रम शोषण में काफी हद तक कमी आ सकती है।