हजरत शेख मखदूम महमूद बुर्राक शाह लंगर जहा का 898 उर्स परंपरा के अनुसार संपन्न ।
मोहनलाल गौड़
फर्रुखाबाद। हजरत शेख मखदूम महमूद बुर्राक शाह लंगर जहानी के 898 उर्स की परंपरा के अनुसार भोजपुर चिल्लहागाह पर बाद नमाज जौहर ईद मिलादुन्नबी के बाद महफीले शमा का आयोजन हुआ। इस दौरान हजरत बख्तियार काकी की रुबाई सुनकर सज्जादानशीन गालिब मिया पर वल्द यानि बेहोशी तारी हो गई।मुरीदिनो की ओर से दुरूह और कुरान की तिलावत के बाद उन्हें होश में लाया गया।
गुरुवार को उन्हे मोहम्मद साहब का खिरका यानि विशेष प्रकार का वस्त्र पहनाया गया।इसे पहनते ही उन पर वज्द यानि बेहोशी तारी हो गई। इसी के बाद उनको बेहोशी के आलम में ही डोले पर रखकर मुरिदीन छड़ियो के साए में लेकर भोजपुर पहुंचे।इतिहास के अनुसार शेख मखदूम का आज के दिन 746 हिजरी , सनू 1650 ईसवी में भोजपुर तशरीफ लाए थे और इसी जगह में सनु 1351 ईसवी में सत्रह जमादीउल उनका इंतकाल हो गया था।उन्होंने अपने इंतकाल से पूर्व अपने मजार के स्थान के बारे में वसीयत की थी।जब लोग उस स्थान को ढूंढ नहीं पाए तो जिस डोले पर उनका जनाजा रखा था,वह स्वतः उड़कर उसी शेखपुर उसी स्थान पर पहुंच गया, जहां उनका मजार है।हाथो में छढीया लिए मुरीदीन डोले के पीछे दौड़ते हुए शेखपुर पहुंचे थे,यही परम्परा हर साल निभाई जाती है
।गत रात कार्यक्रम का आगाज तिलावते ए कुरान से हुआ। शायरों ने हजरत शेख मखदूम की जिन्दगी और करामात पर कलाम पेश किए।इसके बाद महफिलें शमा में लतीफ कमालगंजवी ने हजरत कुतुब बख्तियार काकी की फारसी की रूबाई दफ बजाकर पढ़ी जिसके रूहानी मकसद को समझते ही सज्जदानशीन पर वज्द यानि बेहोशी तारी हो गया।दुरूह और तिलावत से कुछ देर बाद सज्जादानशीन होश में आ गए।उन्होंने देश में अमनो अमन और खुशहाली के लिए दुआ की।कुलशरीफ के बाद मुरीदिनो को वजू का पानी और खुश्क रोटियों का लंगर तकसीम किया गया।मेले में आई महिलाओ और बच्चो ने परिसर में लगी दुकानों में जमकर खरीददारी की।
इस मौके पर सैयद कामरान हाशमी, काजी एजाज अहमद,हाफिज जीशाम, मोहम्मद फरहत मोहम्मद फजल,दिलशाद ,मौलाना मुबीन नूरी,ग्राम प्रधान भुवन भरतरिया, डा इंतजार, रवि दुबे आदि ने व्यवस्था संभाली।