लखनऊ स्थित सरकारी अस्पताल में दो दिन में उपचार के दौरान हजारों रुपए मांगने का आरोप
फर्रुखाबाद । थाना कमालगंज क्षेत्र निवासी बच्ची की हालत गंभीर होने पर परिजन तीन दिन पहले जिला अस्पताल लोहिया की ओपीडी में लेकर आए। एनआरसी इंचार्ज की मोहर लगाकर बच्ची को ओपीडी से लखनऊ के लिए कर दिया गया। दो दिन उपचार करने के बाद पिता बच्ची को लेकर वापस आ गया। ओपीडी में दिखाने के बाद जब भर्ती करने के लिए इमरजेंसी आया तब तक बच्ची की जान चली गई। मृतक बच्ची के पिता ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है।
थाना कमालगंज क्षेत्र के मोहल्ला नई बस्ती निवासी मतीन सिलाई कारीगर है।उसकी तीन साल की बेटी लगभग दो माह बीमार चल रही थी। बेटी को लीवर से जुड़ी बीमारी थी। परिजन कई निजी अस्पतालों में उपचार कर चुके थे। लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। 3 दिसंबर को मतीन बेटी अनाया को लेकर जिला अस्पताल लोहिया की ओपीडी में आए।ओपीडी पर्चे पर बच्ची को हायर सेंटर रेफर किया गया। एनआरसी वार्ड के इंचार्ज की मोहर लगाकर बच्ची को लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। सरकारी एंबुलेंस से बच्चे को लखनऊ ले जाया गया। पिता मतीन ने आरोप लगाया कि वहां पर भी इलाज करने के नाम पर दो दिन में =50000 की मांग की गई। जिससे परेशान होकर वह बच्ची को लेकर गुरुवार को वापस आ गए।
जिला अस्पताल लोहिया की ओपीडी में पहुंचकर पर्चा बनवाया और बच्ची को बोल लोग विशेषज्ञ को दिखाया उन्होंने बच्ची को लेकर इमरजेंसी कहा। इमरजेंसी में स्टाफ हायर सेंटर में जाने को कहने लगा। तब तक बच्ची की हालत खराब हो गई। डॉ ऋषिकांत वर्मा ने चिकित्सीय परीक्षण कर अनाया को मृत घोषित कर दिया।परिजन शव लेकर घर चले गए।